खांदि पींदि सींदि दौ,

 

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।    ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

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खांदि पींदि सींदि दौ,

 

खांदि पींदि सींदि दौ,

आंखि किलै तींदि रौ ।

 

बिसर्यामा छवां अब,

कैका बाना जींदि रौ ।

 

त्यारा विसवास फरै,

सदनि बिस पींदि रौ ।

 

सुपिन्यौ मा दिखेली,

मि दिनमान सींदि रौ ।

 

सच ब्वाल झूट ब्वाल,

मि त्यारा सौं लींदि रौ ।

 

तेरि माया निवति रा,

मि त सदनि तींदि रौ ।

 

ज़िकुड़ियूं मा 'पयाश',

एक  कांडू बींदि ग्यौ ।

 

©® पयाश पोखड़ा

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