दगड़्या दोस्त यार

 

उत्तराखंड की लगूली

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दगड़्या दोस्त यार

 

दगड़्या दोस्त यार छुटणा रंदिन ।

यख रोज़ सौं करार टुटणा रंदिन ।।

 

बोलि सकदा न कुछ कैर सकदा ।

यख रोज़ ल्वै  घूंट  घुटणा रंदिन ।।

 

सुखीं आंख्यूंम क्य ख्वजणा तुम ।

यख रोज़ हि छोया फुटणा रंदिन ।।

 

बिसवासै सारी इनि त बांजि रैगीं ।

यख रोज़ बिस बीज बुतणा रंदिन ।।

 

गज़ल का मक्ता निसवदि ह्वै गीन ।

यख रोज़ सब्द सब्द भुटणा रंदिन ।।

 

कभि दगड़्या कभि दुसमन बणकै ।

यख रोज़ अपणौ थैं लुटणा रंदिन ।।

 

झूट को तलखरु  सच को तमाशु ।

यख रोज़  तमसगेर जुटणा रंदिन ।।

 

उर्ख्यळि गंज्यळि रुणीं च 'पयाश' ।

यख रोज़ पछौ सट्टि कुटणा रंदिन ।।

 

©® पयाश पोखड़ा

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