हिन्दी । गढ़वाली ।
। गजल । अन्य । कवि । कवयित्री । लेख ।
उत्तराखंड देवभूमि I अनछुई सी तृप्ति I ढुंगा -
गारा I आखर - उत्तराखंड शब्दकोश I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की
खोज I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिI कवितायें
दगड़्या दोस्त यार
दगड़्या दोस्त यार छुटणा रंदिन ।
यख रोज़ सौं करार टुटणा रंदिन ।।
बोलि सकदा न कुछ कैर सकदा ।
यख रोज़ ल्वै घूंट घुटणा
रंदिन ।।
सुखीं आंख्यूंम क्य ख्वजणा तुम ।
यख रोज़ हि छोया फुटणा रंदिन ।।
बिसवासै सारी इनि त बांजि रैगीं ।
यख रोज़ बिस बीज बुतणा रंदिन ।।
गज़ल का मक्ता निसवदि ह्वै गीन ।
यख रोज़ सब्द सब्द भुटणा रंदिन ।।
कभि दगड़्या कभि दुसमन बणकै ।
यख रोज़ अपणौ थैं लुटणा रंदिन ।।
झूट को तलखरु सच को तमाशु ।
यख रोज़ तमसगेर जुटणा रंदिन ।।
उर्ख्यळि गंज्यळि रुणीं च 'पयाश' ।
यख रोज़ पछौ सट्टि कुटणा रंदिन ।।
©® पयाश पोखड़ा
0 टिप्पणियाँ