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दुबस्ता पुंगड़ि्यूं का
दुबस्ता पुंगड़ि्यूं का निरबिजा घौ ।
बांझि सग्वड़ि्यूं हूणो स्वील्या डौ ।।
डाळि-बोट्यूं मा मूंजा प्वड़्यां छन ।
निपल्टु मौळ्यार का खयां छन सौं ।।
हवा की सांस घुटेणि पाणि दगड़ ।
हवा पाणि चा हवा पाणि का भौ ।।
आण दे भ्यूंचळौं थैं हमर गौं जनै ।
इनै कचि बुन्याद उनै च रड़दी पौ ।।
जौंळ्या छन वो न पीठि ल्वठ्या भै ।
पर हमरि अंद्वार हमि जन लौ छौ ।।
नांग ढकाणा की त बस छुवीं छन ।
थ्यग्ळा लगाणि छन बड़ि-बड़ि मौ ।।
'पयाश', पौणा, पंछि, अर पलायन ।
आणु-जाणु त मुलक-मुलक,गौं-गौं ।।
©® पयाश पोखड़ा
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