दुबस्ता पुंगड़ि्यूं का

 

उत्तराखंड की लगूली

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दुबस्ता पुंगड़ि्यूं का

 

दुबस्ता पुंगड़ि्यूं का निरबिजा घौ ।

बांझि सग्वड़ि्यूं हूणो स्वील्या डौ ।।

 

डाळि-बोट्यूं मा मूंजा प्वड़्यां छन ।

निपल्टु मौळ्यार का खयां छन सौं ।।

 

हवा की सांस घुटेणि पाणि दगड़ ।

हवा पाणि चा हवा पाणि का भौ ।।

 

आण दे भ्यूंचळौं थैं हमर गौं जनै ।

इनै कचि बुन्याद उनै च रड़दी पौ ।।

 

जौंळ्या छन वो न पीठि ल्वठ्या भै ।

पर हमरि अंद्वार हमि जन लौ छौ ।।

 

नांग ढकाणा की त बस छुवीं छन ।

थ्यग्ळा लगाणि छन बड़ि-बड़ि मौ ।।

 

'पयाश', पौणा, पंछि, अर पलायन ।

आणु-जाणु त मुलक-मुलक,गौं-गौं ।।

 

©® पयाश पोखड़ा 

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