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हिराम
हिराम,
क्या एकराण,
क्या दुराण,
क्या छड़ण,
क्या छिटण,
दैबै मौ,
खालि ह्वैगेनी गौ,
सारि,सेरा बांजा,
अर बांजी पुंगड़ियूं का,
बण्या छौं हम पधान।
कैन बुतणा,
कैन न्याळणा,
कैन गोडणा,
कैन लैणा,
सभि परदेशी ह्वै गेनी,
सिरप दाखिल ख़ारिज चलाकि,
बण्यां छौं हम थोकदार।
कैकी दैं,
कैकु खल्याण,
कैका बल्द,
कनु जिम्दरू,
राशन काल्ड लेकी,
बण्या छौं हम निकज्जा जिमदार।
केशव डुबर्याळ "मैती"
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