लघुकथा - कामयाबी

 

उत्तराखंड की लगूली

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 गढ़वाली गीत


लघुकथा - कामयाबी

सुलोचना ताई मन ही मन कुढ रही थी और अपनी तलाकशुदा बेटी मिताली को कह रही थी कि जा उस गांव की गंवार को अच्छी तरह से समझा दो कि घर पर तुम्हें देखने के लिए मेहमान आने वाले हैं , उनके सामने अच्छे से बन ठन कर रहना हो सके तो उसे अपनी नई ड्रेस दे देना पहने के लिए घर पर नयी बहू को देखने के लिए मेहमान आएंगे तो कहेंगे कहां से लाए इस गंवार को जिसे कपड़े पहनने तक का सलीका नहीं है।

सुलोचना ताई और उसकी बेटी मिताली दिखावे की जिंदगी ज्यादा जीती थी बाहरी चमक दमक और भौतिकवादी सुख सुविधाओं से लैस उनकी ज़िंदगी में अचानक शिवानी का आना जो कि उनकी नई नवेली बहू उसके बेटे विशाल की अपनी पसंद थी,,।गांव की ही सुलोचना ताई की मानसिकता शहर की हवा लगने पर गांव के लोगों के लिए बिल्कुल नकारात्मक थी। गांव के लोग, गांव की हर चीज को सुलोचना ताई कोई तवज्जो नहीं देती थी और अब तो सुलोचना ताई की बहू भी गांव से ही थी तो बौखलाना स्वाभाविक था।

विशाल सुलोचना ताई का इकलौता बेटा है जिसके विचार अपनी मां और बहन से बिल्कुल अलग है,, वह बचपन से अपने नानी के गांव आता जाता रहता था उसे गांव की हर चीज से बहुत लगाव है अभी हाल ही में उसकी शादी शिवानी से हुई जो गांव की एक पढ़ी लिखी मृदुभाषी, समझदार,शरीफ और बहुत होनहार एक किसान की बेटी है।

धीरे-धीरे समय के साथ विशाल शिवानी को अपनी मां और बहन के साथ छोड़कर अपनी ड्यूटी पर दूसरी जगह चला जाता है अब शिवानी पर आए दिन ननद और सास की ज्यादतियां बढ़ने लगती है ।

शिवानी अपना सारा काम समय पर निपटाती हर चीज को घर में करीने से रखती, मेहमान नवाजी से लेकर हर काम शिवानी बखूबी निभाती लेकिन फिर भी शिवानी को ताने सुनने को ही मिलते।

बहू !कल सुबह जल्दी उठ जाना मिताली की कोचिंग क्लास है उसे जल्दी कोचिंग सेंटर जाना है और कल कोई दूर के मेहमान आने वाले हैं सब कुछ तैयार रखना ।

जी मांजी! शिवानी ने सर हिलाते हुए कहा।

अगले दिन मेहमानों के सामने सुलोचना ताई ने शिवानी का इंट्रोडक्शन एक काम वाली बाई के रूप में कराया शिवानी यह सब सुनकर आवाक सी रह गई,कुछ समय बाद मेहमानों के जाने पर आज पहली बार शिवानी ने मुंह खोलने की हिम्मत जुटाई और अपनी सास सुलोचना ताई से कहा

माजी !मैं सादा जीवन उच्च विचारों पर जीती हूं यह सिर्फ सोच का फर्क है सोच बदलिए कपड़े नहीं। इतने में सास शिवानी पर भड़क जाती है ।

शिवानी को हर दिन पहाड़ जैसे लगने लगता है काफी समय से सिवानी रात भर सोती नहीं थी जब उसके कमरे की लाइट ओपन देखकर उसकी सास और ननद उसके कमरे के बाहर जाते हैं तो वहां से कुछ आवाजें आती हैं इस बात को सुलोचना ताई और उसकी बेटी मिताली नोटिस करते रहते है।

आज अचानक शिवानी बैग लेकर घर से बाहर कहीं जाती है घर आने पर शिवानी पर लांछनौ की बौछार लग जाती है, कहां गई थी कल मुही?? रात रात भर किससे बाते करती रहती है? बता कौन आता है तुमसे मिलने? तेरी सारी हरकतें मैं अपने बेटे को बताऊंगी ‌,,,।

शिवानी का पति विशाल काफी समय बाद अपनी ड्यूटी से घर आ रहा था

विशाल के घर पहुंचते ही सुलोचना ताई ने शिवानी की शिकायतें शुरू कर दी,,।

शिवानी क्या यह सब सच है माजी क्या कह रही हैं? ?? विशाल ने पूछा

शिवानी विशाल को एक लेटर देती है

जैसे ही विशाल लेटर खोलता है उसकी आंखें हैरान रह जाती है, उसमें कलेक्टर की पोस्ट का कॉल लेटर होता है,, विशाल के मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकलता है कांग्रेचुलेशन शिवानी ,,,

शिवानी सुलोचनाताई से कहती हैं

मांजी! मै रात भर मिताली के कोचिंग के नोट्स पढ़ती रहती थी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती थी,, इसीलिए रात भर मेरी कमरे की लाइट खुली रहती थी और जोर जोर से पढ़ने की आवाज बाहर आती थी,, अगर मैं उसी टाइम आपको बता देती तो आप मेरी बात का बतंगड़ बना देते इसलिए मैंने चुपचाप घर बैठे ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां शुरू कर दी थी।

यह सब सुनकर सुलोचना ताई और उनकी बेटी मिताली की आंखें फटी की फटी रह जाती है।

इसके बावजूद भी शिवानी के व्यक्तित्व रहन सहन पहनावे में कोई बदलाव नहीं आता शिवानी जैसी थी वैसे ही रहती है।

तड़क-भड़क चकाचौंध भरी जिंदगी व भौतिकवादी सुखों की कायल सुलोचना ताई भी आज शिवानी के साधारण से व्यक्तित्व और काबिलियत को देखकर हतप्रभ सी रह गई । आज शिवानी की सफलता के आगे सुलोचना ताई को अपने चकाचौंध भौतिकवादी सुखों से भरी लग्जरी लाइफ बौनी लग रही थी ।

सुलोचना ताई की सोच और दिखावै की जिंदगी को बदलने में शिवानी पूरी तरह

कामयाब हो गयी थी।

©®अर्चना गौड़

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