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जमना बीति गैनि
तुमरा गांव-गळ्या मा हिट्यां जमना बीति गैनि ।
अंग्वाळ घाळि गौळा भिट्यां जमना बीति गैनि ।।
हरणु हि रौं मि सदनि तुमथैं जिताणा का बाना ।
जिंदगि दगड़ जिंदगि जित्यां जमना बीति गैनि ।।
न तुमरु तजबिज राई न हमरु सजबिज ह्वाई ।
अंग्वाळ भोरि तुमथैं किट्यां जमना बीति गैनि ।।
अब नि रुझांदा आंसू आंख्यूं की डिमडळ्यूं थैं ।
आंख्यूं म सौण-भादौ बित्यां जमना बीति गैनि ।।
उर्ख्यळौं मा बैठिक नचाड़ गंज्येळ्यूं का दगड़ ।
सारा-बुसिला चौंळ थैं छिट्यां जमना बीति गैनि ।।
कभि अपणा ल्वै से लेखि छे जो मयल्दु चिठ्टी ।
वींका मायादार आखर मिट्यां जमना बीति गैनि ।।
सर्या दुन्यां दगड़ खिर्तू कना रौं सदनि तुमरा बाना ।
याद नि आंद अब बौंळि बिट्यां जमना बीति गैनि ।।
बिसिरि ग्यवां बिरड़ि ग्यौं हम तेरा गौं-गळ्या थैं भि ।
जण्यां-पछ्यण्यां बाटौं मा रिट्यां जमना बीति गैनि ।।
चल एकदां फेरि पाणि चारिक अंदौं सग्वड़ियूं मा ।
पुरणि ठंग्रि मा नै लगुलि लिट्यां जमना बीति गैनि ।।
ऐजा यार उमर थैं उमर बुलाणि च उमर का दगड़ ।
अब त 'पयाश' थैं लुट्यां-पिट्यां जमना बीति गैनि ।।
©® पयाश पोखड़ा
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