जमना बीति गैनि

 

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।    ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें ।  

 गढ़वाली गीत



जमना बीति गैनि

 

तुमरा गांव-गळ्या मा हिट्यां जमना बीति गैनि ।

अंग्वाळ घाळि गौळा भिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

हरणु हि रौं मि सदनि तुमथैं जिताणा का बाना ।

जिंदगि दगड़ जिंदगि जित्यां जमना बीति गैनि ।।

 

न तुमरु तजबिज राई न हमरु सजबिज ह्वाई ।

अंग्वाळ भोरि तुमथैं किट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

अब नि रुझांदा आंसू आंख्यूं की डिमडळ्यूं थैं ।

आंख्यूं म सौण-भादौ बित्यां जमना बीति गैनि ।।

 

उर्ख्यळौं मा बैठिक नचाड़ गंज्येळ्यूं का दगड़ ।

सारा-बुसिला चौंळ थैं छिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

कभि अपणा ल्वै से लेखि छे जो मयल्दु चिठ्टी ।

वींका मायादार आखर मिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

सर्या दुन्यां दगड़ खिर्तू कना रौं सदनि तुमरा बाना ।

याद नि आंद अब बौंळि बिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

बिसिरि ग्यवां बिरड़ि ग्यौं हम तेरा गौं-गळ्या थैं भि ।

जण्यां-पछ्यण्यां बाटौं मा रिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

चल एकदां फेरि पाणि चारिक अंदौं सग्वड़ियूं मा ।

पुरणि ठंग्रि मा नै लगुलि लिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

ऐजा यार उमर थैं उमर बुलाणि च उमर का दगड़ ।

अब त 'पयाश' थैं लुट्यां-पिट्यां जमना बीति गैनि ।।

 

©® पयाश पोखड़ा


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ