हिन्दी । गढ़वाली ।
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पैंछु पठ्याळी करा धौं
पैंछु पठ्याळी करा धौं
कुठार कु अन्न खवा धौं
मातृभुमि छ तुम्हारी
भू कानुन लावा धौं
माधु कु त्याग समझा
सुमन कु सर्घंस देखा
कफु कु बलिदान देखा
रामी कु स्वाभिमान समझा
ये मोऴ माटा मा जन्म्यां हम
ये मोऴ माटान सैंतीं पाऴी हम
ये मोळ माटा कि खातिर सोचा तुम
अबरी घड़ी भू कानुन लावा तुम
सुख दुख मा साथ रवा धौं
मोऴ माटा सी प्यार करा धौं
आख़िर जन्म भुमि छ तुमरी
भु कानुन जरुर बनावा धौं
अपणी डोखर्यों तैं न बेचा धौं
नौना बाऴो तैं काम सिखा धौं
भु माफियाओं तैं सबक सिखा धौं
अपणी माटी सी प्यार करा धौं
© नवीन जोशी
गौं कोट. देव मुल्क,
गढ़वाळि कविता /गीत
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