मधुशाला

 

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।    ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें ।  

 गढ़वाली गीत

मधुशाला

 

बडी विचित्र छ भैजी हम पहाडियों की मधुशाला,

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

पींदा जब तब छकै पींदा, जाणी इ मा क्या धरयूं छः,

सूरज अस्त अर पहाडी मस्त, खूब अपडू बदनाम करयूं छः

घर मा चाहे लोण तेल न हो, पर खली बोतल भरयां छाला

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

नौना बाळा स्कूल जाण का बाना,  रौल्यो गदनौ पैग लगाणा,

किताब कौपी  छोड छाडिकी, जुकडी फुकणा धुआं उडाणा

बुड्या ज्वान अफु मस्त होयां छन, क्या यौं छोरों तैं समझाला

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

त्रासदी या हमारा पहाड की, बिना बोतळ कुछ काम नि होंदू,

बोतल ना हो मडा फुकण त, मरयां मनखी क कुई नि रोंद,

बोतळ पैली चैणी छ, ब्वारी ल्योण या बेटी बिवाला,

मधुशाला

बडी विचित्र छ भैजी हम पहाडियों की मधुशाला,

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

पींदा जब तब छकै पींदा, जाणी इ मा क्या धरयूं छः,

सूरज अस्त अर पहाडी मस्त, खूब अपडू बदनाम करयूं छः

घर मा चाहे लोण तेल न हो, पर खली बोतल भरयां छाला

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

नौना बाळा स्कूल जाण का बाना,  रौल्यो गदनौ पैग लगाणा,

किताब कौपी  छोड छाडिकी, जुकडी फुकणा धुआं उडाणा

बुड्या ज्वान अफु मस्त होयां छन, क्या यौं छोरों तैं समझाला

चट बोतल खुल जादीं, जख द्वी दग्डया मिल जाला।

 

युवा शक्ति से करबद्द निवेदन, अगनै आवा पहाड बचावा,

कैन नि औण ई पहाड बचौण, आवा ईं कुरीति मिटावा,

आज नि चेत्या त छुटि जाण, कयी पीडियों तैं हम पछताला,

भैर वाळू कु कुछ नी जाण, इत सिर्फ हंसला ठटा लगाला,

मिलीजुली खतम करा या बुराई, फंडु फूका तीं मधुशाला

पहाडी मा पहाड की बात करा, जख द्वी दग्डया मिल जाला

 

भारत भूषण नौटियाल

मानव भारती स्कूल,  मसूरी

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ