मैं नि करदु त्वैं से बात,

 


मैं नि करदु त्वैं से बात,

 

मैं नि करदु त्वैं से बात, हट छोड़ि दे मेरु हाथ

मैं नि करदु त्वैं से ते बात, छोड़ छोड़ि दे मेरु हाथ

बोल चिट्ठी किले नि भेजी, तिन चिट्ठी किले नि भेजी

त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरी बात

 

त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरी बात

 

बदनामि की डोरो नि भेजी ,बदनामि की डोरो नि भेजी

 

मुख-सामणि त खूब स्वांग भरीदी, परदेस जै कि याद भी नि करिदि ,

 

मुख-सामणि त खूब स्वांग भरीदी, परदेस जै कि याद भी नि करिदि ,

 

रुंणु – रुंणु रो दीन – रात , सौंण – भादु सी बरसात,

 

रुंणु – रुंणु रो दीन – रात , सौंण – भादु सी बरसात,

 

बोल चिट्ठी किले नि भेजी ……..बोल चिट्ठी किले नि भेजी

 

त्वैं कु थैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरि बात

 

बदनामि की डोरो नि भेजी

 

तेरा गौं कु डाक्वान चिट्टी देणु आन्दु , तु रेन्दी बणूंमां वो कैमा दे जान्दु ,

 

तेरा गौं कु डाक्वान चिट्टी देणु आन्दु , तु रेन्दी बणूंमां वो कैमा दे जान्दु ,

 

मुण्ड मां धेरि की जो हाथ, सोची – सोची मिन या बात,

 

मुण्ड मां धेरि की जो हाथ, सोची – सोची मिन या बात,

 

बदनामि की डोर नि भेजी , बदनामि की डोरो नि भेजी

 

मैं नि करदु त्वैं से ते बात, छोड़ छोड़ि दे मेरु हाथ,बोल चिट्ठी किले नि भेजी

 

निगरो सरीळ त्यारू निठरु प्राण ….हे निरदई त्वे मा क्या माया लाण

 

निगरो सरीळ त्यारू निठरु प्राण ….हे निरदई त्वे मा क्या माया लाण

 

झूटी मर्दों की छ जात , कन क्वेकि निभेलु साथ

 

झूटी मर्दों की छ जात , कन क्वेकि निभेलु साथ

 

बोल चिट्ठी किले नि भैजि ,

 

तिन चिट्ठी किले नि भेजी ,

 

त्वैं कुथैं जोड़्यान हाथ – सूण सुणिजा मेरि बात बदनामि की डोरो नि भेजी

 

मेरी साँची माया माँ शक केकु खांदी

 

हे चुची त्यारा सौं तू मेरी आंख्यों मु रान्दी

 

मेरी साँची माया माँ शक केकु खांदी

 

हे चुची त्यारा सौं तू मेरी आंख्यों मु रान्दी

 

लेकि आणु छौं बारात ,अब ता उम्र भर कु साथ

 

लेकि आणु छौं बारात ,अब ता उम्र भर कु साथ

 

मैं चिट्ठी इले नि भेजी , मैन चिट्ठी इले नि भेजी …..

 

मैन चिट्ठी इले नि भेजी…………….

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