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माटू
अतुकान्त
*माटू हुन्द बनी बनी को*
*भितर लिपदन मोल माटा ल*
*त घौर शुद्ध ह्वे जांद*
*वी माटू मंगल करीज म*
*वेदी बणाणा का काम आंद*
*त वेदी म ब्रह्मा जी कु वास*
*अर तैतीस कोटि द्यवतों का ठौ हुंदन*
*माटा से हूँद जमीनै पछाण*
*माटू ही बतांद कि जमीन*
*कथगा सुफल होली*
*जब माटू ढूंगो दगड़ी मिलद*
*त एक मजबूत नींव पोड़ जांद*
*अर बणदन घौर की दीवार*
*जों का कंदूड़ नि हूँदा*
*अर फिर बणद एक घौर*
*जख रंदन कथगै पीढ़ी*
*बणदन पीढ़ियूँ कि अमिट कानी*
*जब माटू हो पुंगड़ों म उपजो त*
*भोरी जांद अन्न का ड्डवारा*
*अर मिटै दिंद लदोड़ी की भूख*
*माटा म ही त छन पांच तत्व*
*जमीन, पाणी, आग, आगास, बथौ*
*अर यु शरीर भी जब अंतिम जात्रा म जांद*
*त माटू माटा म मिल जांद*
*कुछ भी नि बचद*
*माटू माटा बटी आंद अर माटा म मिली जांद*
*न कुछ लींद न लीजांद*
*त्यारु त्वेँम अर्पण बल क्या लागि म्यारु*
*ओ पी पोखरियाल*
*दिल्ली हाट क माटा बटै*
*तेरा बारा बाईस*
अतुकांतआभार धाद लोकभाषा अभियानगढ़वालीगढ़वाली कविताघौशिव दयाल शैलज
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