अज्क्यालु उत्राखण्डं



अज्क्यालु उत्राखण्डं

अज्क्यालु उत्राखण्डं 
गुस्सा छव्ल्यूं च,
गर्मियों बस्ग्याव्ल ठण्डं
अपराध बढणूं च
कखि नौंनी मरेणी
कखि बेरोजगारी
मन मर्जी भर्ती होणी।


अतिथ्यौं की मजबुरी
नौंना भी लापता,
ब्वे,बुबा रोणा खुजौंणा।


पराया बस ह्वे सत्ता,
पुरणी पेन्शन खुजौंणा।


गुस्सा नीं थमेंद,
बर्खा पाणी होंदी नीं।


आंसु नीं बथेद,
बिरोजगारी हटदी नीं।


जे .पी. यू.प्रतीक,
देव भूमि नजदीक।

©सर्वाधिकार सुरक्षित®
जनार्दन प्रसाद उनियाल 

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