बाट ते थे दिस जाली

उत्तराखंड की लगूली

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बाट  ते थे दिस  जाली 

खोजी ले खोजी ले... बाट  ते थे दिस  जाली 

फक्त  तेथे  हिटणा  को सज्ज  हो यार 

ना अबि ना अबि क्वी ना हो टाळ  मटोल 

फक्त  तेथे खुद दगडी लढणा को सज्ज  हो यार 

खोजी ले खोजी ले... 


हिटदरी बाट तेथे  बोलि ल 

चल छोड़ि  क जोंला  परति  कि 

छाती मा  वो मारला  कितेक  घौ जिकोड़ि बोलि ल   

चल छोड़ि क  जोंला  परति  कि 

फक्त  तेथे निरभै होण्या  को सज्ज  हो यार 

खोजी ले खोजी ले... 


बरखा बरख़िल  सर सरि 

फक्त  तेथे भिजणा को सज्ज  हो यार 

सूरज  तपिलो ते परि प्रचण्ड 

फक्त  तेथे घामांघूम  होण्या  को सज्ज  हो यार 

खोजी ले खोजी ले... 


कबि  सच  भेंट लो ते  कबि झूठ 

कबि  मान  भेंट लो ते  कबि अपमान

आकाश  मां  उड़ दा वो पंख  तेरा 

कबि त वों ते ले  तू भुमि मां त  ऐलु 

फक्त  तैमा वैमा लय भिटाण्या को सज्ज  हो यार 

खोजी ले खोजी ले... 


हरेक  उकाल उकालता   ना 

फक्त नै जोश लेकि सज्ज  हो यार 

जबैर  लगलू  कुच नि  व्है सकदु 

फक्त  नै सोच दगडी  सज्ज  हो यार 


खोजी ले खोजी ले... बाट  ते थे दिस  जाली 


© बालकृष्ण डी. ध्यानी  

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