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उत्तराखंडदेवभूमि * काव्यउत्तरखंड * गढ़वाळी YOU-TUBE
*मुक्ति*
*गंगा नयोणू जाणा छों अर गंदगी फैलाण
लग्याँ*
*तीर्थ घूमिकि आणा छों अर कूड़ा वखी फैलाणा
छंयाँ*
*अर सोचणा छों कि पुण्या कमाणा छों*
*सत्य नारेण की कथा कना छों,*
*गरुड़ पुराण अर भागवत भी कना छों*
*अर सोचणा छों कि आत्मा थैं मुक्ति मिल
जाली*
*चुचों आत्मा कु त स्वरूप ही मुक्त च*
*मुक्ति मिलली त केवल जिकुड़ी हल्की रखण
से*
*एक हैंका कि मदद कन से*
*एक हैंका कि पीड़ा अपड़ी समझण से*
*मुक्ति मिल्द जिकुड़ी कि गेड़ खोलण से*
*हैंसण खेलण नचण से बोन बच्योण से*
*मुक्ति मिल्द कविता रंचण से*
*कविता बंचण से अर जीवन म काव्यता लाण
से*
*ओ पी पोखरियाल*
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