उत्तराखंड की लगूली
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"नयु साल"
होलु उदंकार धुंधुर छँटलु,
आँखियूँ मा लाग्यां जाळा हटलु,
नयु साल कु जब नयु नयु सुरज,
सैरी मुन्था मा उज्यालु बॉंटलु।
आसा तृष्ना कु गीत नयु होलु,
हीत प्रीत कु भी रीत नयु होलु,
बनि बनि का जब फूल ख़िललु
धरती कु माटू भी खित हैंसलु।
नयु साल कु.....................
जौं की माटा मा टोप मारीं च।
मां की खुचलि निवती लिंयीं च।
अंगरिक क भैर आल स्यु बीज
जब तौं सूरज धवड़ी लगालु।
नया साल कु......................
चाँदी की ह्वे ग्येनि हिंवाली काँठी,
बादलु न जब ह्युंचुळी बाँटी
तीस बुझेलि रूखी धरती की,
डाँड़ी कांठियूँ का जु ह्युं गळलु।
नयु साल कु........................
©®अंजना कण्डवाल 'नैना
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