" द''

 

उत्तराखंड की लगूली

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"द''

भारि -भारि छुयों मां विराम लगै जांदु यु "द',

कैकु आणा कु अहसास दे जांदु यु "द'।।


भाषा ही मेरा मुल्क की मायादार च ,

झणि कनि माया लगै जांदु यु " द '  ।।


कैबरि त मेरा हिया मां उक्ताट सी मचै जांदु,

अर सवालों मां सवाल दे जांदु यु "द'  ।।


व्यंग्य बाण यु जब लगदु मिथै ..

.छलकदि हैंसि थामि जांदु यु "द' ।।


विनीता मैठाणी

ऋषिकेश पौड़ी गढ़वाल 

उत्तराखंड 

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