*घौ*

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।  कुमाउँनी  ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें 

उत्तराखंडदेवभूमि *  काव्यउत्तरखंड *  गढ़वाळी  YOU-TUBE  



 *घौ*


*शीला का घौ त दिखें जंदन,*

*पर जिकुड़ी का घौ दिख रहा है!*

*जिकुड़ी का घौ गैरा अर हलका हुंदन,*

*अपड़ों का दिया घौ गैरा हुंदन!*

*परयों का दिया घौ त मौल भी जंदन,*

*पर अपठनों का दिया घौ नासूर बनदन!*

*ब्याटा का करड़ा बचाना बुबा कु,*

*इन घौ करदन कि बिगड़ा जांद!*

*जिकुड़ी का घौ म न क्वि लराट न कराट,*

*न क्वी मलम न क्वी पट्टी!*

*न हक़ीक़त न क्वी इलाज,*

*बचन बाण जन चीर दिंदन जिकुडी थां!*

*हां जिकुड़ी का घौ मौल भी सकदन,*

*जब घौ दिंदरा झुक जौन!*

*अर खुले दीयून जिकुड़ी के गेड़,*

*ल्यून सौं कि अब नि डियूला क्वी घौ!*


*ओ पी पोखरियाल* जी 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ