कविता


उत्तराखंड की लगूली

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कविता


जहां के कण-कण में प्रभु जी की वंदना,

विशाल हिमालय पर्वत की श्रृंखला।

बहती नदियां गीत मधुर सुनाए,

दिव्य सौंदर्य यही है प्रकृति की माया।।


हरियाली चादर ओढ़े धरती,

आसमां के नीचे स्वर्ग जैसी लगती।

पक्षियों के झुण्ड संगीत सुनाते,

प्रकृति की सुंदरता मन मोह लेती।।


वर्षा की बूंदों के संग प्रकृति नृत्य दिखाती,

हरी भरी धरती पर फसलें लहलहाती।

उत्तराखंड देवभूमि है स्वर्ग से सुन्दर,

जहां बहते हैं हर पल नदियों के संगम।।


बोली है मिठी मनभावन छटा है,

ऋषि मुनियों की भूमि यहां है।

सनातन धर्म की शुरुआत हुई है,

देवभूमि उत्तराखंड की हर बात निराली है।।


स्वरचित--

श्रीमती अनूपा कुमेड़ी

उत्तराखंड चमोली


 

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