तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई

                               उत्तराखंड की लगूली

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तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई

ज्यू हल्कु ह्वै जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई

तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई

पिड़ा ना लुकेई


तख तेरि कळेजि कांड़ों दुपि हो

यख रो मि फूलो मां हिटणुं,

न हो कखि अजाणम ना हो , ना हो

तख तेरि आंखि आंसुन भरि हो, यख रो मैं खित-खित हैंसणुं,

न हो कभि अजाणम न हो, न हो

ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई

तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई, पिड़ा ना लुकेई


तख तेरा चुल्ला उन्द आग न जगि हो, यखि रों मैं तै का चढाणुं

न हो कखि अजाणम न हो, न हो

तखि तेरि गौळि हो तिसळ उबाणि, यख रौ मैं छमौटा लगाणुं

न हो कभि अजाणम न हो, न हो

दुख हल्को ह्वै जालो तेरो भि, बांटि लेई दुख ना छुपैई

तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई, पिड़ा ना लुकेई


तख तेरि स्यांणि हो मैं खोज्याणि, यख छोड़ि दयु आस पलणु

न हो कखि अजाणम न हो, न हो

तख तेरा हाथ बिटि छुटि जौ कळम, यख रौं मैं चिठ्युं जग्वल्णूं

न हो कखि अजाणम न हो, न हो

ज्यू हल्कु ह्वे जालो तेरो भि, दुई आंखर चिट्ठी मां लेखि देई

तेरि पिड़ा मां दुई आंसु मेरा भि, तोरि जाला पिड़ा ना लुकेई, पिड़ा ना लुकेई


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