आधुनिक बेताल चौबीसी ( कथा - 12 )-विभागीय प्रोन्नति


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आधुनिक बेताल चौबीसी ( कथा - 12 )

विभागीय प्रोन्नति
बेताल को जाते देख राजा विक्रम क्षण भर ठिठके और फिर यंत्रवत मसान की तरफ लौट पड़े। उन्होंने पेड़ से अपने को बेताल बताने वाले उस मुर्दे को उतारा और अगले सवाल का इन्तजार करने लगे।
विक्रम यही कोई 200 कदम चले होंगे, बेताल बोला, " हे राजन, मैंने सुना है कि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है लेकिन मैंने सरकारी विभागों में प्रोन्नतियों के मामलों में परिश्रमी लोगों को अक्सर असफल होते देखा है। उदाहरण के लिए मैं आपको गिरीश और हरीश के बारे में बताना चाहता हूँ। ये दोनों एक ही विभाग में कार्य करते हैं। गिरीश दिन भर फाइलों को निपटाता रहता है जबकि हरीश ऑफिस से अक्सर गायब रहता है। गिरीश से वरिष्ठ अधिकारी तक ऑफिस के कार्य को लेकर सलाह - मशविरा करते हैं। बहरहाल, इस माह विभागीय प्रोन्नति समिति द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार हरीश को प्रोन्नति मिली जबकि वरिष्ठ और परिश्रमी गिरीश को नहीं। आखिर, ऐसा क्यों हुआ ? "
विक्रम ने हँसते हुए कहा, " हे बेताल, हरीश दफ्तर से गायब नहीं होता है। वह तो उस दौरान बड़े साहब के घर जाकर उनके घरेलू कामों को निपटाता है।भारत सरकार में ऐसे हजारों हरीश हैं जो अपने मुखियाओं का व्यक्तिगत काम करते हैं और वेतन सरकार से पाते हैं।इनके मुखिया इनसे खुश रहते हैं।फलस्वरूप, गिरीश की तुलना में हरीश जैसे लोगों को बेहतर वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट मिलती हैं और उनकी प्रोन्नतियां पहले होती हैं।"
" जानता हूँ राजन लेकिन यह तांत्रिक तो तुम्हारा मुखिया नहीं है फिर भी तुम उसका निजी कार्य कर रहे हो, न जाने क्यों ? " बोलने के बाद बेताल फिर पेड़ पर जाकर उल्टा लटक गया।
- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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