( कथा -6 ) आधुनिक बैताल चौबीसी -कविता और पद

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आधुनिक बैताल चौबीसी
( कथा -6 )
कविता और पद
" तू डाल-डाल मैं पात-पात " जतलाते हुए राजा विक्रम ने पेड़ से फिर शव उतारा और अपने रास्ते चल पड़े। आशा के अनुरूप बैताल उनसे फिर बोला, " हे राजन, तुम्हें थकान न हो, इसलिए मैं तुम्हें एक लघु कथा सुनाता हूँ। दिल्ली नगरी में ब्रह्म जी और परम जी नामक दो लोग कविताएं लिखते हैं। ब्रह्म जी लेखन के हिसाब से परम जी की तुलना में एक श्रेष्ठ कवि हैं लेकिन कवि सम्मेलनों में सभी लोग परम जी को बुलाते हैं। मेरा सवाल है कि क्या लोग अब कविता की समझ नहीं रखते हैं ? "
साहित्य में रूचि रखने वाले राजा विक्रम ने मुस्कराते हुए कहा, " हे बैताल, आजकल लोग तुम्हारी तरह चालू हो गए हैं। परम जी भले ही दोयम दर्जे की कवितायेँ लिखते हैं किन्तु ये मत भूलो कि वे एक उच्च पुलिस अधिकारी भी हैं। "
" हाहा हाहा " करके हँसते हुए बैताल बोला, "राजन, यह बात मुझे भी मालूम थी लेकिन मुझे तो विरोधी नेताओं की तरह यह तुम्हारे मुंह से सुनना था। "
राजा विक्रम ने देखा कि बैताल मुर्दे के साथ फिर सिसर के पेड़ पर पहुँच कर लटक गया था। (क्रमशः - 7 )
स्वरचित सादर
सुभाष चंद्र लखेड़ा
विज्ञानकु

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