( कथा -7 ) आधुनिक बेताल चौबीसी- महिला उत्पीड़न

 

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( कथा - 7 )

आधुनिक बेताल चौबीसी
महिला उत्पीड़न
इस बार पेड़ से शव उतारते समय राजा विक्रम ने उस चालाक बेताल से निपटने के लिए एक दूसरा तरीका अपनाने की बात सोची। उन्होंने निर्णय लिया कि वे बेताल के सवाल से बचने के लिए उसके सवाल पर कतई विचार नहीं करेंगे।
लेकिन जैसे ही विक्रम कुछ कदम चले, बेताल ने कहा, " राजन, मैं अब जो सवाल करने जा रहा हूँ, उस पर आपको संजीदगी से विचार करना होगा क्योंकि इसका ताल्लुक उन महिलाओं से है जिनकी कोख से आप जैसे श्रेष्ठ पुरुष जन्म लेते हैं।”
फिर अपने स्वर को गम्भीर बनाते हुए बेताल ने सवाल किया, " हमारे देश में प्रति दूसरे दिन महिलाओं के प्रति किए जाने उत्पीड़न को लेकर कहीं न कहीं सेमिनार आयोजित होते रहते हैं। फिर भी महिलाओं के प्रति किये जाने वाले अपराधों में कोई कमी नजर नहीं आती है। आखिर, ऐसा क्यों ? "
महिलाओं से जुड़े इस महत्वपूर्ण सवाल को सुनकर अपने विचार को बदलते हुए राजा ने कहा, " हे बेताल, इन सेमिनारों में भाषण देने वाले और उन भाषणों को सुनने वाले कुछ नियत लोग होते हैं। आम लोगों को इन सेमिनारों में जाने का कभी भी मौका नहीं मिलता है। फलस्वरूप, ऐसे सेमिनारों से लोगों की सोच में कोई बदलाव कैसे आ सकता है ? मर्ज के इलाज के लिए जरूरी है कि दवा मरीजों को दी जाए न कि उन लोगों को जिन्हें उसकी जरूरत नहीं है। "
राजा के उत्तर को सुनकर बेताल बोला, " राजन, काश आपकी तरह शासन से जुड़े हमारे सभी वर्तमान अधिकारी इस बात को समझ पाते तो " यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" में विश्वास करने वाले इस देश में आज महिलाओं की स्थिति इतनी बदतर न होती।"
इतना कहकर देखते ही देखते बेताल फिर मुर्दे के साथ सिसर के पेड़ पर जा
पहुंचा।(क्रमशः - 8 )

स्वरचित सादर
सुभाष चंद्र लखेड़ा
विज्ञानकु
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