विभाजनकारी समय में दयालुता

 

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लेख

विभाजनकारी समय में दयालुता

सैमुअल जॉनसन ने कहा था-
"दया हमारी शक्ति में है, भले ही स्नेह न हो"
हम विभाजनकारी समय में जी रहे हैं। हर चीज के नाम पर ध्रुवीकरण हो रहा है। अधिक से अधिक मुद्दे कलाकारों, पंथ और रंग के पहले से ही जटिल मुद्दों को जोड़ रहे हैं। यह मनुष्य के लिए परीक्षा की घड़ी है।
दया स्वाभाविक है। दूसरों के प्रति करुणा की भावना स्वाभाविक रूप से हमारे अंदर आनी चाहिए और इसके महत्व के बारे में याद दिलाने की आवश्यकता नहीं है लेकिन ऐसा नहीं होता है। क्यों?
क्योंकि हम राजनेताओं के एक-दूसरे की आलोचना करने, छात्रों को डराने-धमकाने, बलात्कार, हत्या और न जाने क्या-क्या उदाहरण देखते हैं।
दूसरों की गलतियां निकालना हमें श्रेष्ठ बनाता है।
हम जानते हैं कि लोग अच्छे नहीं हैं और शायद उनके अपने कारण हैं। हम उन्हें नहीं जानते और न ही उन्हें बदल सकते हैं। हमें दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि हम अच्छे हैं।
हमें अच्छा बनने के लिए योग या ध्यान या ऐसी कोई भी चीज़ करने की ज़रूरत नहीं है। दूसरों की आलोचना न करने के लिए किसी विशेष आहार या व्यायाम की आवश्यकता नहीं है।
हमें दूसरों को जज करने की जरूरत नहीं है। दूसरों की राय का सम्मान करें क्योंकि आप हमेशा सही नहीं होते।
हमारी तरह अन्य लोगों को भी दिक़्क़तें होती है। हम नहीं जानते कि अन्य लोग क्या कर रहे हैं और कैसे जी रहे हैं ।
हमेशा एक विकल्प होता है। यदि आप अच्छी बातें नहीं कह सकते तो कुछ भी न कहें।

हरि लखेड़ा 

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