उत्तराखंड की लगूली
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या बि क्वी बात चा


भासा त बुलांण कु साधन चा,
बानि - बानी लोगूं दगड़ी, बानि- बानी भासा बुलांण पड़दि ।
पर बिरांणि भासा ब्वौली, हम अफूं तैं भौत समझणां ,
हमारा देस कु महान राजपूताना इत्यास, कनकना बीर अर सांसादार रज्जा छा ।
पर भैर बटिन लूटपाट कन्न अयां मनख्यूं मं अपणुं इत्यास खुज्यौंणां,
या बि क्वै बात चा ।।
देवभूमि का लोग हम , यखौ कु हर ढुंगु बी द्यवता च ।
यख बुलांदा बद्री, पंडों का केदार, नंदा कु मैत च ।
पर अर्थव्यवस्था शराबन चलौंणां,
या बि क्वी बात चा ।।
नेता चुनणां हम पांच सालूं तैं, अर पाँच मैना हम रौंण नी द्यौंणां ।
जब देखा तब सरकार गिरौंणां,
या बि क्वै बात चा ।।
पौड़ त धर्ती का बिसौंणां छन, द्ववतूं का ठौ अर नद्यूं का सिरांणां छन ।
अर यूं पौड़ पठाणूं हम द्वार- म्वौर लगौंणां,
या बि क्वै बात चा ।।
माना कि सबि सुख-सुविदा नी हमारा गौं मं,
भैर जांण जरुरि चा।
पर बारा - बग्वाळ, सौ- संग्रांन, भै-भयात बी नि द्यखणां,
या बि क्वै बात च ।।
पैलि पढ्यां - लिख्यां कम छा, मनख्यात बि छै, ल्वोग मयाळा बी छा ।
अब डिग्रि ह्वैगि तीन सौ साठ, अर मनख्यातौ ह्वैगि नाठ,
या बि क्वै बात चा ।।
माना कि नयिं पीढि पर सक्या- पत्या नी,
भौ- भाव , सौ- सग्वौर नी ।
पर सासु कनीं झाड़ु- प्वच्या, ब्वारि ह्वयीं लम्पसार,
या बि क्वै बात चा ।।
सौ- साठ दिवस मनावा बल , सरकारि योजना बी चलावा बल,
गुणवत्ता बी ल्यावा बल , भौत भलि बात चा।
पर सैरा स्कूल मं यौक मास्टर,
या बि क्वै बात चा ।।
माना कि कळजुग चा, मौ-मनखि,
पौ-पंछि ,सबि काल का बस ह्वैग्या ।
पर अतिमति जाडु, अतिमति घाम, अतिमति बरखा,
परकिर्ति बी क्रूर ह्वैगि,
या बि क्वी बात चा ।।
रचनाकार -----
संगीता बहुगुणा
गौचर चमोली उत्तराखंड
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