उत्तराखंड की लगूली
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मेरि गढवाली रंचणा-----


ऊंचा हिवांलों ह्यूं की चादर,
रूमझुम बरखा मध्य हिमालै ।
धारूं - धारूं बादळ माळा ,
नाह्यी ध्वेयी सजीं च ब्योली ,
यनी शोभणू मध्य हिमालै ।
बांसण लैगिन चखुला न्योली ,
यनी बोलणू मध्य हिमालै ।।1।।
बांज - कुल्यैं का बौण हैंसणा ,
गीत सुणौणा मध्य हिमालै ।
कांठा अपणी ओर खैंचणा ,
प्रीत जगौणा मध्य हिमालै ।।
धौळी गंगा कल-कल बगणी ,
ठुम - ठुम चलणी मध्य हिमालै ।
माछ्यूं सी कन दौड़ लगींच ,
लहरूं दगणीं मध्य हिमालै ।।3।।
अबी फूलली पैय्या डाळी ,
कनो शोभलो मध्य हिमालै ।
*हिमपुत्री* मा छुईं लगौलों ,
काब्य बोळळो मध्य हिमालै ।।4।।
------------------- हिमपुत्री किरन पुरोहित
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