मध्य हिमालै

 

उत्तराखंड की लगूली

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें 



मेरि गढवाली रंचणा-----
🌼 मध्य हिमालै 🌼
ऊंचा हिवांलों ह्यूं की चादर,
रूमझुम बरखा मध्य हिमालै ।
धारूं - धारूं बादळ माळा ,
ठंड़ि बथौऊं मध्य हिमालै ।।
नाह्यी ध्वेयी सजीं च ब्योली ,
यनी शोभणू मध्य हिमालै ।
बांसण लैगिन चखुला न्योली ,
यनी बोलणू मध्य हिमालै ।।1।।
बांज - कुल्यैं का बौण हैंसणा ,
गीत सुणौणा मध्य हिमालै ।
कांठा अपणी ओर खैंचणा ,
प्रीत जगौणा मध्य हिमालै ।।
धौळी गंगा कल-कल बगणी ,
ठुम - ठुम चलणी मध्य हिमालै ।
माछ्यूं सी कन दौड़ लगींच ,
लहरूं दगणीं मध्य हिमालै ।।3।।
अबी फूलली पैय्या डाळी ,
कनो शोभलो मध्य हिमालै ।
*हिमपुत्री* मा छुईं लगौलों ,
काब्य बोळळो मध्य हिमालै ।।4।।
------------------- हिमपुत्री किरन पुरोहित

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ