उत्तराखंड की लगूली
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तेरी याद
तेरी याद त भौत आंद पर क्य कन्न ।
मजबूरी छन कुछ कनक्वै ब्वन्न ॥
स्यनि सवाल म्यारू बि तुम से चा ।
बोला तुमन चुप रैण कि कुछ ब्वन ॥
हव्वा जन फैलीं हमरी माया दुन्या मा ।
बतावा मिन लुकै कन कख जि धन्न ॥
तेरी जग्वाळ मा बैठ्यूं छौ देखा त सै ।
अब जग्वाळ बि कन त कबतलै कन्न ॥
त्यारू नौ लेकी मी हुर्याणां लोग ।
अब मिन ब्वन्न च त कैमा ब्वन्न ॥
यखुलि छौ रुणूं कबि हैंसणू इख ।
मिन सारू धरण त कैमा धन्न ?
तुमुन त कैरि यालि सवाल पोड़ी गे सेळ ।
मिन जबाब ब्वन तं कैमा ब्वन ।
खार्यूं उदगार छन मैमा तु कबिआत सै
त्वैमा रुंण छक्वैकि मिन त्वैमा ब्वन्न ॥
संदीप गढ़वाली
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