उत्तराखंड की लगूली
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हर एक टैम खुस रै
खित खित हैंसी तू औरूं ते हैंसे दे
खैरी विपदा तरत सुर .... बिसरै दे
साकार कैर तेर जग माया ते
हैंसे हैंसे आंख्युं पाणी ते खुस.... कैरे दे
गुस्सा ते अप्डी अफि मात दे
धीर धैर अफि औरूं ते .... समजै दे
पसंद होळु ऊ सबि धाणी कैर
नि होळु त ना.. छोड़ ....ना फिकर कैर
मुक्त व्हैकि एक बारी अफ से निभैले
नयु कुच यनी अफ दगडी ....कैरि कि दिखेले
कैथे मालुम कैकु टैम कब आलु
हर एक ब्च्यू टैम तै खुस करैले
स्वरचित
सादर
© बालकृष्ण डी. ध्यानी
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