उत्तराखंड की लगूली
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एक ग़ज़ल आपके सामने
ग़ज़ल
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई।
इश्क़ में जब जफ़ा करे कोई।
कुफ़्र में भी न बद्दुआ देना,
लाख तुम से दगा करे कोई।
बेख़ुदी में करार आ जाये,
सादगी से दुआ करे कोई।
रूठ कर दूर जा रहे हो क्यों,
मुस्करा कर मिला करे कोई।
मुद्दतों बाद बात निकली है,
सोच कर फैसला करे कोई।
आदतें आपकी नहीं अच्छी,
बेरुख़ी को विदा करे कोई।
हाल 'नैना' छुपा सके ना वो,
आज ख़ुद से गिला करे कोई।
©® अंजना कण्डवाल 'नैना'
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