उत्तराखंड की लगूली
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*जिंदगी*
*उकाल काटी सरबट सौंगी ह्वे गि जिंदगी,*
*उँदार म उन्दू उन्दू जांदी रै जिंदगी!*
*खैरी का औला खैकी कन स्वाणि ह्वे जिंदगी,*
*नथर काचा टीमाटर सी टटमोरया सी हुइं छै जिंदगी!*
*एक हैंकै खैरी बिपदा म काम आवा त,*
*बुरांस काफल जन रसीली ह्वे जाली जिंदगी,*
*मुक फरकै की राखी छो जब तलक लोखू से,*
*पिण्डलू सी कलकल्याण ह्वे जिंदगी,*
*दियू बती बणि जगण पोडलु त्वे सणि,*
*बग्वाल जन उज्याली ह्वे जाली जिंदगी!*
*सोच विचार साफ राखा तुलसी जन,*
*त बिन्सरी जन स्वाणी ह्वे जाली जिंदगी,*
*अपड़ा देश समाज का वास्ता जील्या त,*
*मोना बाद अमर ह्वे जाली जिंदगी,*
*@ओपी*
ओ पी पोखरियाल
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