उत्तराखंड की लगूली
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ऊ च परमात्मा
ऊ हैंसी पसरयां दु रेंदु
हम आंसू खरचि कि लेंदा
वैक उजाळ हर औरि भेंटि जांद
हम बाटा चुक दा रेंदा
ऊ सुख उधाळण मा रेंदु
हम दुःख गोळा करदा रेंदा
ऊ हिमाळ जणी चम चम दु
हम अंधारा दग्डी टम टम दा
ऊ हर मनखी मनखी का मन मा
हम वैते ढूँगा ढूँगा मां पूजदा रें दा
ऊ जन्मयूं बाळ सरीर मा विचरदूं
हम वैते पाप कैरि कैर मा फेंकदा
ऊ हर स्वांसा कु असीस छ
हरेक जिब -जंतु वैकु रंग मा
हर जिब ते तू बचा वैकू एक मंत्र
हम मिट मॉस खाणा मां रैंद दंग
ऊ ज्ञान कु प्रचार प्रसार कर दु
हम बुद्धी ह्वैकि बि अँगठ छाप
ऊ अंजळ भोरि कि लक्ष्मी देणु
हम गुनि गुनि भोरि मांगदा रेंदा
ऊ सुर लगाणू रेंदु प्रकृति दग्डी
हम संगीत दग्डी लय बद्ध ना होंदा
ऊ जिबन कु हर पैलु चमकाणु
हम तरी माधवसिंग भंडरी ना बणदा
ऊ च एकमेव अनंत शक्ती
हरेक जिकुड़ि कि ऊ आत्मा
ऊ च उजाळु ऊ च अंधारु
ऊ च महात्मा, ऊ च परमात्मा
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