आधुनिक सिंहासन बत्तीसी: भाग - 07-कौमदी

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आधुनिक सिंहासन बत्तीसी: भाग - 07

कौमदी
कौमदी हँसते हुए बोली, " आप लोगों को कुर्सी हासिल करने का यह रोग क्यों लगा, मैं नहीं जानती लेकिन जो महान नेता इस कुर्सी में कभी बैठा करता था, उन्होंने इसे त्यागने में कभी कोई संकोच नहीं किया। चीन से युद्ध के बाद जब उनके राजनैतिक दल की छवि धूमिल होने लगी तो तब यह महसूस किया गया कि पार्टी के कुछ बड़े नेता मंत्री पद छोड़कर संगठन के कार्यों में हाथ बंटाएं। उस समय इस्तीफ़ा देने वालों में वे अग्रणी रहे। ताज्जुब की बात है कि उन्हें देश का प्रधानमंत्री इसीलिये चुना गया क्योंकि उन्होंने कभी इस पद पर पहुँचने की इच्छा नहीं जताई। आजकल के नेता जिस जोड़तोड़ की राजनीति को करते हैं, उससे वे हमेशा कोसों दूर रहे। क्या आपको नहीं लगता कि आप उनके जैसे कतई नहीं हैं क्योंकि आपके लिए तो.....। "
अभी कौमुदी परी अपनी बात पूरी करती कि ये नेता जी बोले, " मुझे इस पद के लिए मेरे दल ने चुना है। मुझे नहीं लगता है कि मैं इस कुर्सी पर बैठने लाइक नहीं हूँ। " ऐसा कहकर वे फिर कुर्सी की तरफ बढ़े लेकिन तभी " अभी रुकिए और मेरी बात सुनिए " कहते हुए आठवीं परी पुष्पवती प्रकट हुई।

- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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