आधुनिक सिंहासन बत्तीसी: भाग - 08-पुष्पवती

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आधुनिक सिंहासन बत्तीसी: भाग - 08

पुष्पवती
पुष्पवती को देख नेता जी रुक गए। एक महान नेता की बारे में सुनकर खुशी तो उन्हें भी हो रही थी। वे आजकल के नेताओं के विषय में सोचने लगे। आजकल तो बहुमत बनाने या बनाए रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इतना ही नहीं, समर्थन पाने के लिए इन " आया राम - गया राम " को गोवा के पांच सितारा होटलों में मौज - मस्ती करानी पड़ती है।
नेता जी को विचार मग्न देख वह बोली, " एक बार उस महान नेता को अमेरिका जाना था। जब वे अपना कोट रखने लगे तो उन्होंने देखा कि उसमें एक जगह कीड़े ने छेद कर दिया है। उनके निजी सचिव ने जब उन्हें नया कोट बनवाने की सलाह दी तो वे नहीं माने और उन्होंने एक अनुभवी दर्जी को बुलवाया। उस दर्जी ने जो भी उपाय किया, उससे वह छेद गायब हो गया था। अगले दिन उन्होंने वह कोट पहना और निजी सचिव को दिखाया। सचिव बोला, ' पता ही नहीं चल रहा है कि इसमें वह छेद कहाँ पर था ? ' वे बोले, ' जब तुम्हें ही पता नहीं चल रहा है तो अमेरिका वालों को क्या पता चलेगा ?' महाशय, मुझे नहीं लगता है कि आप कभी ऐसा करेंगे और अगर आप ऐसे नहीं हैं तो फिर इस कुर्सी पर बैठने से भी आप उस महानता को हासिल नहीं कर पाएंगे। "
नेता जी बोले, " मेरे किसी कोट को आज तक कभी किसी कीड़े ने नहीं काटा क्योंकि मेरे कपड़ों पर निरंतर स्प्रे होता रहता है। मुझे लगता है कि वर्तमान समय को देखते हुए मैं इस कुर्सी में बैठूं तो कोई हर्ज नहीं। " इतना कह कर वे जैसे ही कुर्सी की तरफ बढ़े, तभी नौवीं परी मधुमालती ने आकर उनको हाथ का इशारा करके रोक दिया।

- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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