उत्तराखंड की लगूली
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आधुनिक बेताल चौबीसी ( कथा - 16 )
एंटीबायोटिक ड्रग्सराजा जानते थे कि जैसे ही वे जवाब देंगे, बेताल फिर मसान में मौजूद सिरस के पेड़ पर चला जाएगा। यूं राजा यह भी समझ रहे थे कि बेताल ऐसे सवालों को इसलिए पूछ रहा था कि आजकल आम लोग भी ऐसे सवालों में रूचि रखते हैं।
खैर, राजा विक्रम तेज कदमों से पेड़ के पास गए। उन्होंने शव को उतारा और खामोशी से उसे कंधे के हवाले कर चलने लगे। बारिश बंद हो गई थी। कुछ देर बाद बेताल ने उस निर्जन पगडंडी की नीरवता को भंग करते हुए कहा, " राजन, पूरी दुनिया में इस बात को लेकर चिंताएं जाहिर की जा रही हैं कि प्रतिजैविक दवाइयों यानी एंटीबायोटिक ड्रग्स का असर अब उतना नहीं रहा जितना कि पहले था। वैज्ञानिकों का कहना है कि इन दवाओं के गैर जरूरी इस्तेमाल से इनसे संबंधित बैक्टीरिया की दवा - रोधक क्षमता बढ़ जाती है। मैं आपसे यह जानना चाहता हूँ कि क्या इसके पीछे कोई और वजह भी हो सकती हैं ?"
विक्रम कुछ देर तक सोच - विचार करने के बाद बोले, " बेताल, जिस देश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार बाजार में 40 प्रतिशत नकली दवाइयां बिक रही हों, वहां यह कहना मुश्किल है कि मरीज पर कोई दवा असर क्यों नहीं कर रही है ? यह भी हो सकता है कि जिस कैपस्यूल को मरीज एंटीबायोटिक्स समझ कर ले रहा है, उसमें दवा की जगह मिट्टी भरी हुई हो। बहरहाल, यह भी जरूरी है कि एंटीबायोटिक ड्रग्स का इस्तेमाल डॉक्टर और मरीज, दोनों ही सोच समझकर और नियमानुसार करें। दवा कंपनियां भी अपने फायदे के लिए एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को बेवजह बढ़ावा न दें। सरकार भी इस मामले को लेकर सतर्क और संजीदा रहे। "
बेताल बोला, " राजन, काश हमारे सभी नेता भी जनहित से जुड़े सवालों पर आपकी तरह इतनी गहराई से सोच पाते ! "
राजा विक्रम बेताल को कुछ आगे बताते कि तभी उन्होंने देखा कि वह तो सिरस के पेड़ पर लटक कर जोर - जोर से हंसे जा रहा था।
- सुभाष चंद्र लखेड़ा
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