मेरा मायका***Hindi poetry written by Damayanti Bhatt

 

मेरा मायका


मुझे नव दृष्टि दी
मुझे प्रेम दिया
मेरी छोटी बडी गलती को
नजर अंदाज किया
मेरे सुख मैं हंसे और दुख मैं रोये
नकली रौब जमा कर
मेरी असली गलती छुपा देते
कभी धीरे से बोली हूंगी
कुछ चाहिए
हर कोशिश करके लाते
घर पर मेरा घमंड चलता
आंचल की छाया रहती पर
बाबा के नाम का दबदबा तो संग रहता
जब मैं छोटी थी
कंधों पर बैठी बाबा के
राजकुमारी से ठाट थे अपने
बाबा पर हर हुक्म चलता मेरा
हर जिद पूरी होती मेरी
मेरी शान भी तब तक है
जब तक मेरे बाबा हैं
मेरा मायका भी तब तक है
जब तक बाबा हैं
बाबा का जैसा प्रेम कोई नहीं करता
कोई नहीं पूछता मैं कैसी हूं
मेरी जरूरत क्या है
भाई से वो जिद नहीं कर सकती
वो अपने रंगों मैं मस्त है
जिम्मेदारियां हैं जो मन मार कर निभानी हैं
जो है जैसा है
जब तक बाबा हैं सब कुछ अपना है
आगे मैं सब जानती हूं
जो नाज बाबा को मुझ पर
वो किसी और को नहीं
जितना प्रेम बाबा करते
उतना कोई और नहीं
बाबा कहते हैं जब मुस्कुराते
तस्वीर सुंन्दर आती सोचो
मुस्कुराते हुए जीवन कितना सुन्दर होगा
सब रिश्ते एक तरफ
बाबा कहते लाडो तुम मेरी हो
जीवन की तपती धूप मैं
ठंडी छांव घनेरी हो

दमयंती

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ