अरे कन छे तू?

 

उत्तराखंड की लगूली

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें 

अरे कन छे तू?

अब्बि काका क फ़ोन ऐ। काका उम्र माँ में से दस साल छोटू च पर रै, तै, करीक ही बात करद। बचपन से यनि चलणै च। पैलि त आवाज़ नि पछाणी। अब रै ते करीक बात करण वाल भी कख रै गीन। उम्र माँ बड छन त आप या तुम करीक रिवाज चलि गे। मी त अपरि माँ कुण भी तू ही बोलदु छे। 

काका की आवाज़ माँ चिंता झलकणै छे। अरे मीन सुण कि जख तु रैंदि बहुत जोरूक तूफ़ान ऐ। कत्ति डाल भीम पैडी गेन। बिजली क खंभा, तार, मकानु क छत उड़ी गेन बल। तू त ठीक छे न? 

मी- काका आपक आशीर्वाद से सब ठीक च। सात दिन बिजली बंद रै। एक दिन इंतज़ार कर पर जब लग कि क्वी भरोशा  नी त होटल माँ सिफ्ट ह्वे गे छे सबी। बर्फ़ भी बहत पड़। टेंप्रेचर माइनस माँ चलि गे छे। पाइप गैस, पाणी आणै छे पर एयरकंडिशनर इंटरनेट टीवी सब बंद। 

काका-अरे मीन त सोचणै रौं अमरीका माँ सब काम फटाफट ह्वे जांद। 

मी-काका तूफानैकि सामणि कैकी नी चलदी। एक लाख घरूकी बिजली ग़ायब ह्वे गे छे। कति डाल मक़ानु की छत माँ गिर्यां रैन। बीजली क तार टुटि गेन। लग्यां छन। टाइम लगल बल। आज ही ठीक ह्वे, घर ऐ गवां । 

काका- अरे कै एमएलए वमलै नी जाणदी? पेंच लडै लीण छे।काम तुरंत ह्वे जांदु। 

मी- काका यख यन नी हूंद। सब लाइन माँ और हिसाब से। थोड़ा बहुत चल्दू ह्वाल पर पता नी। 

काका-अरे रैंण दे। भ्रष्टाचार कख नी? 

मी-काका म्यार त पाला नी पौडू पर यन बोली सकुदू कि ऊपरी लेवल पर त च जन राजनैतिक पार्टीयूं मा पर लोवर लेवल मा नी जन हमार देश मा। 

काका- हाँ तन भी ठीक ही बुनै छे। सब तै लाइन तोडणै की आदत पणी च। पुरानी आदत जाण मा देर त लगली। अब काफ़ी ठाक च। अच्छा अब रात ह्वे गे। सींद छौं। अपर ख़्याल राखी। 

मी- काका प्रणाम। तुम भी अपर ख़्याल राखीन। आपक दगड बात करीक ख़ूब आनंद आंद। स्तिथि सामान्य हूंद त फ़ोन करूल। तख सामाचार सब ठीक छन न?

काका- सब ठीक च। अच्छा गुड नाइट। 

मी- गुड नाइट। स्वीट ड्रीम्स।


हरि लखेड़ा

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ