उत्तराखंड की लगूली
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गज़ल
तुमरि बात होलि
बादळु दगड़म जब-जब तुमरि बात होलि ।
बादळु का डिस्याणम झरझरी गात होलि ।।
पिरोळ जिकुड़ि की आग सुलगणि च जो ।
बरखदा बादळु दगड़म सुहाग रात होलि ।।
चाल जन चमकणि च माया हमरि तुमरि ।
जरा खरेंण दे सरग जरुर मुलाकात होलि ।।
जरा ठसोळणा की देर च फट्ट फुटि जाण ।
थमेंणु नि मेरा आंसुल इनि बरसात होलि ।।
अब नि डरदा हम बादळ बरखा पाणि से ।
तेरि धम्यलि खुलकै चांदण कनात होलि ।।
चल खेलि आ ह्वळि धणांस पर दगड़्या ।
जुन्यळि जून दगड़ गैणौं की बरात होलि ।।
अगासा को ढकीण ल्हेकि सुनिंद से जैई ।
अब छुयूं की रमछोळ भोळ परबात होलि ।।
©® पयाश पोखड़ा
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