रंग रंगीला मधुमास***Hindi poetry written by Damayanti Bhatt


 रंग रंगीला मधुमास


मन पर तन की सांकल

देकर चिर निंन्द्रा मैं

प्राणों का पाहुन

एक चोर 

सपनों में

सजा गया कुछ

सपने

अधरों ने मना किया

मोती रोल दिया नयनों ने

मैं शरमाऊं

तेरी बाहों में खो जाऊं

दमके दामिनि दंतियां

अधर  फफडायें

पीत पट पहन पनघट

फाग गुनगुनाऊं

मन अवाक विभोर

देख पनघट

राधा मोहन मिल रहे

बंसी वट के कदम्ब

झुक कर

 इतरा रहे

भ्रमर

बांह भरी रजनी रजत रूप

यमुना आली लहर भरे

सुंदर सी छवि ले

पांखियों के सुर संग

क्षितिज पर कुमकुम लगा

ऊषा हरषे

नाविक

पतवार बिना

तीर बंधी तरणी सी

एकाकी यमुना

भाव भरी

भांवर भरे

 बैचैन लहर से

मधुमासी लताओं पर

रंग बिरंगी कलियां और फूल

उन पर

भ्रमर बसंती

भूल गयी हैं

बसंत बहारें

मेरे आंगन की राहें

तुम बिन

प्रिय

यह कैसा बसंत है

जीवन पाने को पतंगों ने

किया नित मरण से अनुराग

निज देह गला कर

घन 

 अस्तित्वहीन हुआ

तब खिला धरती पर

रंग रंगीला

मधुमास


दमयंती

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