गब्बर , साँभा अयाँ म्यारू गौं ( व्यंग मात्र )

उत्तराखंड की लगूली

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गब्बर , साँभा अयाँ म्यारू गौं ( व्यंग मात्र )

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ऐंसु होली मा शोले कु गब्बर सिंह म्यारू गौं पौंछि अपणूं दल बल का दगडि । वैथैं अखबारै पुरणि कतरि मीलि छाई। ज्याँमा ल्यख्यूं छाई कि एक बार हमरा गढ़वाळ का लोग एक नेता थैं द्यखणूं गैन । त हमरी बेटी ब्वारी नथुलि , गुलाबन्द , मुर्खुला , बुलाग , अर कुन्डल पैरी सज धजी बिगरैला छाई लगणां । ई लालच वैथैं उख ले कन ग्याई l गब्बर सिंह ब्वनू अरे सांभा इख त सुनसान हुयूँच रै ? सांभा सियाँ ह्वाला सरकार फसोरि ।
तनि कालिया ब्वनू सरकार तडतुडु घाम खुलि हव्वा , , ताजु पाणी , हैरा डांडा , फ्योलि बुराँस फुल्यूँ अहा इनमा चैन की निन्द त आंणी च ।
गब्बर अरे कालिया तिन सी सुन्दर नजारा द्यखणी की तैं लद्वड़ी मा कुछ धरुण बि च । अब गौ वळों थैं धमकी दियेणी मैक मा ।
गाँव वळों अपणा अपणां घार बटि जैमा जु कुछ च इखमा ल्यावो । मि शोले कु गब्बर सिंह ब्व नू छौ । फेर नि बुल्यां कि मौ मार कैर ग्याई l होली आंण वळि च ।
पुरु गौं बटि क्वी नि आई । पर फगुणु बोडा हथ हलांद हलान्द ऐ ग्याई l गब्बरत्यार नौ क्याच रै बुड्‌या ? फगुणू बोडा ब्वनू पैली त तमीज से बोल अर म्यार नौं फगुणूं जी च मि ये गौं कु प्रधान छौ ।
गब्बर ब्व नू रै फगुणू इख कतगा लोग रैंदा ? फगुणू ब्वनू बल म्यार अलावा क्वी ना ।
गब्बर अबै झूठ ब्वनू छै क्या ? मि गब्बर सिंह डाकू छौ पर म्यारू बि बोटर कार्ड च मी भि बोट देन्दु । जब इख क्वी नि रैन्दु त त्वे थैं बोट कैन द्याई ? बता बता ?
फगुणु ब्वनू अबै मि चुनौ का बगत पैसा देन्दु किराया खाणीं पेणी करदु एक दिन खुणै सब्बि ऐकन बोट दे जन्दी |
गब्बर ब्वनू त तिन ये गौं मा क्वी बिकास नि करि । त्वे कनमा बणै देन्दा प्रधान बार बार ? कम से कम सड़क बिजली पांणी त होण चयेन्द | त्यारा नौना बाळा कतगा छन ?
फगुणु ब्वनू म्यार द्वी नौना छन एक गाजिया वाद अर एक गोवा रैंद उखी अपणा मकान छन । रैगें सडक की बात त मेरी क्वी गलती नीच ।
मिन गौंमा सडक लै गे छाई कुछ लोगु थैं मुआवजा बि दिलै जु म्यारा अपणां छाई । गब्बर ब्वनू यार फिर सड़क बणि क्यो नीच ? फगुणु ब्वनू मिन हौरि लोगु खुणै ब्वाल तुम थैं नि मीलु मुआवजा तुम स्टे ल्यावा ।
गब्बर ब्वनू त्वै क्य फैदा ह्वाई ? फगुणु ब्वनू जौंथै पैसा मिलिन ऊमा बटि कमीशन जौन स्टे ल्याई ऊँ मा बटि रुकवाणु खुणै पैसा ।
गब्बर ब्वनू यार साँभा यु त हम से बि जयूँ वित्यूँ च यार । हम त बोलि कन सिर्फ अनाज लुटदौ इख त पैसा जमीन डाँडा भ्याळा सब्बि हडपणां छन ।
गब्बर ब्वनू यार कालिया हम त डैर डैरी कन रैणा छौ । इख तसब्वि खुल्ला होणूं । तनि शैर बटि एक फून गब्बर खुणै हैलो गब्बर भैजी म्यारू पुंगुडू स्ये फगुणु बोडान कै होटल वळु थैं बेचि दे । जरा वै थैं छुडै दे ।
गब्बर ब्वनू अबै मि डाकू गब्बर सिंह छौ वकील थ्वडि छौ । न मि क्वी राजनैतिक आदिम छौ । इख पैली म्यार पैथर पुलिस प्वड़ींच । अर मि तुमर बान अपड़ि मौ मार किलै करौ ? जैदिन तुम दिल्ली देरादूण गाजियाबाद बटि दारु मुर्गा भै भयात का बाना द्वी चार रुप्यो का लालच मा गाडी भोरि भोरि बोट देणु अन्दों युवाँकि परिणाम च ।
फून पर ब्वनू यार गब्बर भैजी कुछ कैर यार त्वै कुछ कमीशन दे द्यूला । गब्बर गुस्सा मा अबै मि डाकू छौं दलाल न । अपणाँ घार आवा अपणि कूडि पुंगडि संम्भाळो तु शैर वळोंन जु गौं छोडी शैरु मा गौं बसै यु वाँकी नतीजा च ।
गब्बर ब्वनू हे रै साँभा तु म्यारू आधार कार्ड बणौ इख को पता लेख । तौ हथियारू थैं ऐंसु होली मा फूक दे । कालिया ब्वनू सरदार बिना हथियार कु हम थैं देखी डरण कैन च ? हमुन खाँणु क्याच ?
गब्बर ब्वनू अबै इख गौं का गौं खाली हुयाँ छन कैथै डरैला ? रै बात कमाणै की त उतराखण्ड त पलायन कै ग्याई खाणां कमाणां त इख सब भैरा का छन हम बि भैरा का छौ ।
उ उना फून फारि ब्वनू गब्बर भैजी कुछ त ब्वालो । गब्बर ब्वनू भुला छः मैना त तुमर शैरु मा कौथिग मेळा उर्याण अर नचण गाँण मा पुरे जान्द वाकी छै मैना खांण कमाणा मा । चुप रौ तिन क्य कनाई कब कनाई ये पुगड़ा कु ? घार तुम आन्दा नि छौ तुम तखि बचाओ पहाड सभ्यता संस्कृति बोली भाषा | एक दिन जब घुमणू ऐला ये गढ़वाळ तव तुम थैं गुमखाळ , कल्जीखाल का जग्गा गब्बर खाळ दिख्यालु ।
एक दिन मी जन कै गब्बर ये गढ़वाळ थैं गब्बर गढ़वाळ अर यूँ डाँडो कु नौ कलिया डॉड , सांभा बजार ह्वै जालु भुला वैदिन पैसा देला एक रात रुकणूं कु ।
अरे ये कालिया बल हाँ सरदार ब्वालो । गब्बर ब्वनू तैं तिबरि फरि कब्जा कैर लीप घासी तैयार कैर आज बटि मि डाकू गब्बर न तिबरि कु गब्बर ह्वै ग्यो ।
हम इनि शैरु मा पिक्चर देखी रुणा छौ । उख गौं मा कई गब्बर मौज कना छन । पर यांक जिम्मेदार कोच ?
संदीप गढ़वाली
CR25223 

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