उत्तराखंड की लगूली
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आगे फागुण कु मैना
आगे फागुण कु मैना
तिल रत्ती सौरास जॉन
मुंडमा धैर लठ्ठ कु मुंडयाडू
तीग बांध लाटी! तिगबंधा!।।।
पीड़ा मुंड ध्यामली ब्वारी सजैली
मुंड पर बंदी भल्ली लागली
झांवरा पयडा खूटियों बिरजला
प्यटी फर चांदी का बटन बिगरैला लगला
बिंसरी बटु लागी भांड्या दूर जौंन
उकली उंदरी बाटू कुबाटू रैंद
मठो माठो हिटी ब्वे खुटु तोल पोडला
कू त्यारा खुट्टा लुण पाणी ल स्याकुलु
सर सर हिट व्वे दुरु भांडी जौण
सौरास जाकी तिन पाणी ल्याणा
निरपणी डंडू न डाली न बूटी
घाम लागुलु कख छैल ती ग नवेली!
डाला फोड़िली पुंगड़ जैकी
म्वाला कु बिठालू भोरी लेकी जैकी
पाणी सरीली घास कटिली
ग्वरू लेकि डांडू जैली
घुघती घुरली फज्जल लेकि
हिंलवास बसली रति लैकी
डलबल डलबल आंसू चुवेली
खुदेलि डंडियों म यखुली रैली
खुंत डा तोड़िकी खुचीलु भ्वारिली
फ्योलि फुल्या हेरी की भांडा खुदेली
बथओं घर घर ट्वेथेन झुरालू
रोई न डांडो परी हैरी ले जाली
खैरी कु जोग हम बिठलों कु
जनम द्याई विधाता न दिब्तों की छाओँ
कवि त सुनलू बिठुलों की खैरि
जुकुड़ी झुरै न कैमा न रोई
आँखि हवेकी भि आखर कि नि जा णी
प्रदेश स्वामी कु चिट्ठी कनकै लिखण
सर गामा रीटी लिखवार नि क्वी
बीजोग प्वाड यख अकलाकंठ लागी
जब यो समलौन पेली की आंद
कलबल कलबल जीकुड़ी कैद
बिठलों कु कुगती कल्यजु झुरद
धन्य छौ हमरी गढवली की सब्य मातृ शक्ति!
जै मातृ शक्ति! जय उत्तराखंड!

लिख्वार-©®-

राजेंद्र प्रसाद कोटनाला
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