उत्तराखंड की लगूली
उत्तराखंड देवभूमि I अनछुई सी तृप्ति I ढुंगा - गारा I आखर - उत्तराखंड शब्दकोश I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिI कवितायें|| माया कू बैम ||
रूप रंग का भंडार म बैठी ,
झणी कै बिंगाणी छे वा !
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा!
रूप रंग का भंडार म बैठी |
घड़ी घड़ी देखूँ पेली लुखारु ,
फिर हेरु मि विथे!
वा झणी केका ख्यालू डूबी ,
मैन सोची जणि याद कनिचा मिथे !
हरकी फरकी घंन्घतोऴ म् देखूँ ,
आँख्यून कैथे भट्याणी छे वा!
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
आन्दा जान्दा गैल्यो गैल,
आँखी आँख्युम् मिलणी रैन!
म्यारु घंन्घतोऴ बणि विश्वास,
मनमा खिलग्ये फ्योऴी बुरांस!
आँख्यून तौऴी बैमन जाणी,
जणि माया मुल्याणी छे वा!
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
माया कू इमऴा लेखी कि द्याखी,
छिटी की सुपन्या घेंन्टी गाणी!
इमऴा बिंगैगे रै तू छे अजाण,
पर क्यो आँखी मिलेनि विंला,
माया केकू उच्याणी रै वा !
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
जुमजुमी नारी सबू की प्यारी,
लुक छुपी द्यखदी चित लुभान्दी!
चटपटा मन्ख्यू थै नौ धराणी रै वा,
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी!
आँखि नवाणी छे वा |
|| C@R अतुल शैली ||
रूप रंग का भंडार म बैठी ,
झणी कै बिंगाणी छे वा !
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा!
रूप रंग का भंडार म बैठी |
घड़ी घड़ी देखूँ पेली लुखारु ,
फिर हेरु मि विथे!
वा झणी केका ख्यालू डूबी ,
मैन सोची जणि याद कनिचा मिथे !
हरकी फरकी घंन्घतोऴ म् देखूँ ,
आँख्यून कैथे भट्याणी छे वा!
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
आन्दा जान्दा गैल्यो गैल,
आँखी आँख्युम् मिलणी रैन!
म्यारु घंन्घतोऴ बणि विश्वास,
मनमा खिलग्ये फ्योऴी बुरांस!
आँख्यून तौऴी बैमन जाणी,
जणि माया मुल्याणी छे वा!
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
माया कू इमऴा लेखी कि द्याखी,
छिटी की सुपन्या घेंन्टी गाणी!
इमऴा बिंगैगे रै तू छे अजाण,
पर क्यो आँखी मिलेनि विंला,
माया केकू उच्याणी रै वा !
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी,
आँखि नवाणी छे वा |
जुमजुमी नारी सबू की प्यारी,
लुक छुपी द्यखदी चित लुभान्दी!
चटपटा मन्ख्यू थै नौ धराणी रै वा,
मैन जाणी जणि मैथे दिखणी!
आँखि नवाणी छे वा |
|| C@R अतुल शैली ||
0 टिप्पणियाँ