क्या होगा ?***Hindi poetry written by Damayanti Bhatt

 


क्या होगा ?

क्या होगा
सड़कों पर उतर कर
आन्दोलन
कोई विकल्प नहीं
ये प्राकृतिक आपदा में
अगर ईश्वर की देन होती
तो वो
हिमालय
गंगा
हरी भरी डांडि कांठि
फूलों के बुग्याल
ऊंचे बांज बुरांश,चीड़,देवदारू के वन
कलकल बहती वन नदियां
चहचहाते पक्षी
खेलते वन पशु
जीवनदायिनी वन औषधियां
और मानव जो ईश्वर की
सबसे सुंदर रचना है
वो इसे इतनी सुन्दर नहीं बनाते
आज
मानव पीड़ा में हैं
तो सड़कों पर उतर कर
पीड़ा से भरकर
भाग रहे
विकास को फटकार रहे
जब नदियों पर बांध बनते
जब पहाड़ विस्फोटकों से
तोडे जाते
तब कहां और चले जाते हैं
आंन्दोलनों के संचालक
वो विश्वासघाती
जो हवा दे रहे आंदोलनों को
जो अपने
सच्चे होने का प्रमाण
और
जनता के प्रति
संवेदना दिखा रहे
आज जब सब छिन रहा
मिट्टी,पानी,जंगल
तब
पीड़ा महसूस करना
क्या बुद्धिमानी है
ये आंन्दोलनों के संचालक
सेवक नहीं
व्यापारी हैं
सौदागर हैं
जल जंगल जमीन के
एक वक्त के बाद
ईश्वर भी
थक जाते हैं
प्रार्थनाएं सुन सुन कर
और वो छोड़ देते हैं
मनुष्यों को
उनके हाल पर
उदास हो कर
ईश्वर का
कोई रूप नहीं होता
वो प्रकृति बनकर
हमेशा धरती पर
रहते हैं
प्रकृति के बिना
ईश्वर कहां रहेंगे
प्रकृति के बिना
ईश्वर मोहताज कर देते हैं
मनुष्यों को
उमों कैसे लगेगी
मनकांक्षा कैसे देंगे
प्रकृति और ईश्वर
पूरक हैं
प्रेम के
इस प्रेम के बिना
न धरती रहेगी
न मनुष्य
बहुत कुछ
पाने की लालसा
जेठ की बरखा सी होती है
बरस कर तो चली जाती हैं
धरती तपती रहती है
क्षण मैं अलग हो जाते हैं
उस तपन से
प्रकृति और ईश्वर
ईश्वर कोई
धन की खान नहीं है
उसे और उसके नाम से
बस
समेट ही रहे हैं
पीढ़ियों के लिए
दोष भी दे रहे
उसे ही
सब कुछ ईश्वर ने रचा
और हमेशा
वह सब मनुष्यों का हुआ
पिंजरे के पंछी
जंजीरों पर पशु
पहाड़
नदियां
और
ईश्वर

दमयंती 

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