" आज को घपरौल़" अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवसै बधै अर हार्दिक शुभकामनाएं ।

 

उत्तराखंड की लगूली

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" आज को घपरौल़"

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवसै बधै अर हार्दिक शुभकामनाएं ।
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-हे !बौ, सिमानि । स्वास्थ्य पाणि ठिक ठाक।
-अरे ,देवर जी। कहाँ ठीक! जब भी गाँव आती हूँ। मुझे यहाँ का पानी ही नहीं पचता व ना खाना ही।
-पर ये बौ, पैलि तो तू खूब मोटी तगड़ी छै गोल मटोल जब गौं मा रैंद छै. दस साल मा हि ड्यारदून जैकि कचड़क।
-अरे:बाॅडि मेंटेन की है जिम जाकर।
-दा ,फिर यू शूगर बीपी थाइरॉइड किलै व्हे तुमते.
-उम्र का तका़जा।
-हे बौ, वाहि आर यू रिपालाइंग इन हिंदी ।
-क्या बोला तू। समझी नहीं ।
-मि बि नि समझि तिन क्य बोलि हिंदी मा. मि गढवालि मा बुलणू अर तू हिंदी फुकणि। किलै?
-देखो, शहर में हिंदी में ही बोलना पड़ता है। अब आदत नहीं। गढवालि कोई नहीं बोलता हमारे घर में भी । समझे!
-हे बौ. मुण्ड मा मौऽल को चंगर्या लिजाण, दाथुडिं गात पर बांधिक घास काटणो जाण, ठिंगरा लाण तू दस साल मा हि भुलि गै यख ड्यारदून हरिद्वार जैकि। हम तो नि भुल्या साठ साल भैर रैकि। आपक बच्चा बि बोल्दान क्य गढवालि?
-देखो. बच्चों के भविष्य के लिये अंग्रेजी व अन्य भाषा ज्ञान जरुरी है देश विदेश में नौकरी लेने के लिये ।ना कि आपकी गढवालि या कुमाउनी।
-अरे मेरि बेटी बि तो बिदेश गै। वा तो अंग्रेजी क दगड़ गढवालि बुलदि। बल्कि गढवालि बुलण से वख कति उत्तराखण्डियों से दोस्ती व्हे। बात सै च बौ तेरि। पर अन्य भाषा जरुरी च तो दगड़ अपणि भाषा मा बच्याण से भाषा बि बच्यालि अर दिल क बात बि। इकमा क्य नुकसान च?
-अच्छा। म्यार दिमाग खराब नि कैर अब । तू अर त्यार बच्चा तो होशियार छवा। हम तो नहीं।(भाभी को अब गुस्सा आने लगा था मेरी बातों से)
-भौत खूब बौ। अब कन बोलि तिन गढवालि मा. जब गुस्सा चैड़ तो. मन कि बात तो अपणि बोलि भाषा मा हि निकलदि। अगर इनि बच्चोंक दगड़ बि बुलदि तो वू बि कनि बुलद। दूसरी भाषा दगड़ अपणि बोलि भाषा बुलण मा क्य नुकसान।
- गुड नाइट देवर जी। मैं जा रही हूं। मेरे मेहमान आ गये हैं दिल्ली से बजार वाले घर में। मेरी आदत नहीं बदल सकती है अब।
-हे बौ। चा तो पे जा।
(भाभी जीक दगड़ पिछलि मैना गौऽ क
यात्रा को दौरान वार्तालाप को अंश।)
अब इन मा कनकै बचण अपणि बोलि भाषा।बच्याण हि मुश्किल तो बचाण कनकै।
*अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवसै बधै अर हार्दिक शुभकामनाएं मातृभाषा प्रेमियों तैं। 

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