खुशबू से
खुशबू से महक उठा दामन
जब छुआ तुमने
धीरे धीरे
लगी नेह की बरखा
मौन नयन
मन मैं मंगल
होगा अगर भाग
मिलेंगी खुशियां और अनुराग
बांहों मैं सुकून ऐसे जैसे
यादें बरसाने की
सारी रात जागे की गवाही
निधिवन के रंग महल की सेज पर
सिलवटें मिल जायेगी
कुछ दिन भटकूंगी
नदिया सी
एक दिन सागर मैं मिल जाऊंगी
आंखे खोलूं तुझको देखूं
बंद करू आंखें तुझको भैंटूं
ढाई आखर प्यार के
मेरे श्याम तुझे पा जाऊं
दमयंती
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