यीं दुन्यां मा"

 

उत्तराखंड की लगूली

 उत्तराखंड देवभूमि  I अनछुई सी तृप्ति  I  ढुंगा - गारा  I  आखर - उत्तराखंड शब्दकोश  I उत्तराखंड I गढ़वाली शब्दों की खोज कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I  कवितायें I कुमाउनी शब्द संपदा I उत्तराखंडी यू ट्यूब I उत्तराखंड संस्कृतिकवितायें
यीं दुन्यां मा"

गढ़वाळि कविता
ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं

मार काट कन वाळा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।
लूट पाट कन वाळा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

पराण चितोंदा नि सि,जालिम मनखि कै पर।
गौळा घोंटण वाळा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

कैकि मवासी खौंदार कनै,रंदा खुरपात मा सि।
तमासु देखणा खड़ा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

डाका डकैति पर अधारित छन,नम्बरि बेमान।
मौके ताक मा फरचंट,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

आन बान शान लुछंण,सरल सौंगि वहीं तौंतैं।
बेज्जत कन वाळा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

हेरा फेरी चकारि,करि पनपणा आज कै लोग।
ठग विद्या मा माहिर,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

चाल बाजि अर चापलूसि,रग रग मा बसीं चा।
छुरि चलौंणा उस्ताद,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

बिस फैलै जैर पिलै,करदा राज सि खूब अर।
ज्यूंद्वै फुकण वाळा,भौत ह्वेग्या यीं दुन्यां मा।

सर्वाधिकार सुरक्षित
रचना
राजपाल सिंह पंवार
रुद्रप्रयाग 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ