अर तुम ।

गज़ल

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अर तुम ।

बादळ बरखा बणदरि अर तुम ।
भटुळि पराज अंसधरि अर तुम ।।

समळौण्यां भि बिसरौण्यां ह्वेन ।
ब्यखुनि फजल द्वफरि अर तुम ।।

हवा बथौं दगड़ उडणी रैंद खुद ।
दुशालु खंड्यला चदरि अर तुम ।।

यखुुलि जग्वाळ अर उदसीं खुद ।
छज्जा डंड्यलि तिबरि अर तुम ।।

माया का निसाब मा क्वी नि ऐ ।
मुन्सिफ सबूत मुखबरि अर तुम ।।

तुमरि याद बिटोलिक देखि याल ।
आफत दिकत दिकदरि अर तुम ।।

सर्या जिंदगि नि मील 'पयाश' थैं ।
समय समझ समझदरि अर तुम ।।

©® पयाश पोखड़ा

उत्तराखंड की लगूली

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