बस इतना ही काफी है

 

बस इतना ही काफी है

"बस चुल्लू भर पानी और
मुट्ठी भर दाना ही काफी है ll
घर को घर बनाने,
चिडियों का घर आना ही काफी है ll""

भांडों के जैसै ढलने को तरल
जीवन के अनुसार चलने को सरल होना पडता है
अपना चेहरा पहचान करने को आइना रखते हैं
चलिए सब आइने के सामने खडे होते हैं

देखिये कितने लोग
सच्चे निकलते हैं
उन आंखों मैं हम ही हैं
वो सच या झूठ कहते हैं
खामोश
इधर सिसकियां
उधर हिचकियां
मौल्यार मैं नये पत्तों का आना
पुराने पत्तों का छूट जाना
सुख और दुख जैसा

सदैव ही नजरों से घिरी रहती है
प्रकृति
फिर भी, असुरक्षित रहती है
स्त्रियों पर
पाबंदियां
जैसै डैमों की कैद मैं नदियां

बादलों का बरसना
टूट जाना
स्त्रियों का रूठ जाना
घर छोड जाना
बस इतना ही काफी है

दमयन्ती

उत्तराखंड की लगूली

हिन्दी   ।  गढ़वाली ।  कुमाउँनी  ।  गजल  ।  अन्य  ।  कवि  ।  कवयित्री  ।  लेख  ।

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