अपडि-अपडि टीम चि***Grhwali Poetry written by Dr. Sushil Semwal

 


अपडि-अपडि टीम चि

तौंकी भी अर यौंकी भी अपडि-अपडि टीम चि।
यखे तिर वालों कु खाली मुंडारु म्येख मीन चि।।

चस ता जिकुड़ी पर ह्वोणे लगी चि सदानी पर।
ग्वचदरौं का हाथों मा स्यूणू, सबलू अर पीन चि।।

सुपात्र विरैं तें कुपात्र किले भिडकणा यख यति।
झ्वोप गाड्यों रे चुकपट्ट ब्यखुन्यों क्य सीन चि।।

सुबेर मा मंच बिटि दिवा बत्ती अर मंगलगान ह्वे।
पिछने पुन कवि सभी ब्यखुन्यों कच्यो टीन चि।।

पैग पी पी तेंहि जैका अंदडा लिवर गौली सौडी।
सम्मेलनों कु आदरणीय वरिष्ठ ह्वे स्वे डीन चि।।

यी हाल छिन दिवा दिखोण वालों का समाज तें।
"सुशील" साहित्य की स्तिथि बड़ी दीन-हीन चि।।

©®
डॉ सुशील सेमवाल
पुराणेतिहासाचार्य ज्योतिष
083688 85462
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